फिर वही..
वो नज़रें वो ख़ामोश होंट
वो आवाज़ वो अधूरी साँस
वो धीमे धीमे गुनगुनाना
वो हवाओं में घुल मिल जाना
वो भीड़ में भी खोया रहना
वो अकेले में बक-बकाना
वो पुराने पॉकेट से तस्वीर निकाल
घंटो तक घूरते रहना
वो फ़िज़ूल बातें याद कर
बेहिसाब मुस्कुराना
वो पहला ख़त जिसमें
गुलाब का एक फूल सोया है
उसे पढ़कर आँसुओं से खेलना
वो सर्दियों की धूप सा
धूँदला ख़्वाब, जिस को
ले गए थे वो अपने साथ..
उस ख़्वाब को याद कर,
वापस पाने का एहसास..
किसिकी आँखों में
इंतज़ारदेखने का एहसास
किसिका हाथ थाम चलने का एहसास
किसिकी बाहों में खो जाने का एहसास
वो प्यार, वो खोया सपना
फिरसे जीने का एहसास
प्यारा सा एहसास
प्यार ही वो एहसास ❤️